Sadhana Shahi

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ख़तरनाक खेल (कहानी ) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु-20-Feb-2024

ख़तरनाक खेल

बात उन दिनों की है जब महेश जी ऑफिस गए हुए थे और उनकी पत्नी अपने नवजात शिशु को बाथटब में नहला रही थीं।तथा उनके 6 वर्षीय जुड़वा बच्चे अपने कमरे में खेल रहे थे। लेकिन वो कौन सा खेल, खेल रहे थे इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी।

खेलते-खेलते उन्होंने डॉक्टर का खेल, खेलना सोचा उसमें से एक बच्चा चाकू लेकर आया उसने दूसरे बच्चे को मरीज़ बनाकर लेटा दिया,और बोला मैं डॉक्टर हूंँ, मैं तुम्हारा ऑपरेशन करूंँगा। ऐसा बोलकर उसने चाकू बच्चे के पेट में घुसा दिया। चाकू घुसते ही बच्चा ज़ोर से चीखा। उसकी चीख को सुनकर दूसरा बच्चा डरकर भागा और भागते समय उसने मम्मी मारेंगी सोचकर घर के बाहर से चिटकनी लगा दिया। बच्चों के घर के नीचे वाले घर में अमरूद लगा हुआ था जिसकी डालियांँ ऊपर छत तक आई हुई थीं बच्चा अमरूद की डालियों को पकड़कर नीचे उतरने की कोशिश किया परिणास्वरूप वह नीचे गिरा और उसकी जीवन लीला वहीं समाप्त हो गई।

दूसरा बच्चा जिसका उसने ऑपरेशन किया था वह कमरे में दम तोड़ दिया और तीसरा बच्चा जिसको मम्मी बाथरूम में नहला रही थीं जो अभी नवजात था। बच्चे की चीख सुनकर महेश जी की पत्नी ने अपना धैर्य खो दिया और उनके हाथ से बच्चा छूटकर पानी में चला गया और वह अपने चीखते हुए बच्चे को देखने चली गईं। जब उन्हें होश आया कि वह बच्चे को पानी में छोड़ आई हैं तब दौड़ते हुए आईं लेकिन कोई फ़ायदा नहीं था। वह हो चुका था जो नहीं होना चाहिए था। वह तीसरा मासूम भी उनका साथ छोड़कर दुनिया से चला गया था। और इस तरह एक ख़तरनाक खेल ने मात्र 10 मिनट में एक घर को श्मशान बना दिया था। एक खिलखिलाते मांँ-बाप को ज़िंदा लाश बना दिया था।उस मांँ-बाप की दुनिया ख़त्म हो चुकी थी। यह सारा कुछ इसलिए हुआ क्योंकि बच्चे ने एक ख़तरनाक खेल खेला।

आज के आपा-धापि की ज़िंदगी तथा एकाकी परिवार की वज़ह से मांँ-बाप इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। वो इस बात को समय रहते जान ही नहीं पा रहे हैं कि बच्चा ग़लत कर रहा है या सही।

नतीजा बच्चे के दिमाग में जो भी सही, ग़लत आ रहा है उसे वह कार्य रूप में परिणत कर दे रहा है। जिसका अंज़ाम इतना भयावह हो रहा है, जिसका कोई सुधार नहीं है। जैसा महेश जी के तीनों बच्चों के साथ हुआ।

सीख- हम चाहे जितने भी व्यस्त हों किंतु हमें 24 घंटे में एक घंटा, आधा घंटा अपने बच्चों के साथ बैठकर उनके मानस पटल में उभरते, डूबते अंतरद्वंद्व को जानने की कोशिश ज़रूर करना चाहिए।

साधना शाही, वाराणसी

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5 Comments

kashish

27-Feb-2024 02:50 PM

Amazing

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Shnaya

21-Feb-2024 01:14 PM

Nice one

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Mohammed urooj khan

21-Feb-2024 01:13 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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